21 अगस्त 2012 को एक छोटे से 12×15 के कमरे से प्रारंभ हुए संस्थान की नींव संस्थान के संस्थापक अनिल शर्मा एवं सत्येन्द्र सिंह ठाकुर के द्वारा रखी गई थी। प्रारंभ से ही विद्यार्थियो पर पूर्ण जवाबदारी से मेहनत की गई और उन्हें संपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान किया गया। जिसके फलस्वरूप विभिन्न विद्यार्थियों का चयन अलग-अलग पदों पर हो गया। उसके बाद सतत् विकास की यात्रा प्रारंभ हुई और विद्यार्थियो की बढ़ती हुई संख्या के साथ कमरों का आकार छोटा पड़ता गया। प्रारंभ में आर्थिक अभाव में बुनियादी तौर पर सुविधाओ की कमी थी, विद्यार्थियों को दरी पर बैठाकर पढ़ाया जाता था, नाम मात्र की फीस ली जाती थी परन्तु अध्यापन की गुणवत्ता किसी से कम न थी, कम फीस होने के कारण वे विद्यार्थी भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर पाये जिनके लिए कोचिंग एक सपना हुआ करता था। ज्यादा फीस देने पर ही अच्छी शिक्षा प्राप्त होगी संस्थान ने इस मिथक को तोड़ दिया और सभी वर्ग के विद्यार्थियों को जोड़ने का प्रयास किया।
संस्थान व विद्यार्थियों की मेहनत, लगन और दृढ़संकल्प से जो चयन हुए वे अकल्पनीय है। संस्थान का शुरू से आज तक का ध्येय वाक्य रहा हैं ’’ शून्य से शिखर तक ’’ अर्थात प्रतियोगिता के संघर्ष में जो विद्यार्थी अंतिम पंक्ति में खड़े होते है, जिन